औरंगाबाद में लू से एक दर्जन मौतों पर गजबें बोल रहे स्वास्थ्य महकमें के बड़का हाकिम, हीट-स्ट्रोक से एको गो मौत नही

डीएम को खटका, तो सीएस को लगाया फटकार, व्यवस्था सुधारने का सुनाया फरमान

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मौसम के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 जून को मॉनसून का प्रवेश बिहार में होना था। इस वजह से आग के गोले बरसा रही भयंकर गर्मी से निजात पाने के लिए औरंगाबाद के लोगो ने मॉनसून की पहली बारिश की ठंडी फुहार के लिए आसमान की ओर टकटकी लगा रखी थी। एक दिन बीता और दूसरा दिन बीत गया यानी मौसम के पूर्वानुमान के 48 घंटे बीत गये लेकिन बारिश नही हुई। मौसम का पूर्वानुमान फेल कर गया। ऐसे में यहां के लोगो के लिए गर्मी असहनीय हो गई है।

औरंगाबाद में मौसम का पारा 45 डिग्री तक पहुंच रहा है। उतार चढ़ाव के बीच आज यानी बुधवार को मौसम का पारा 40 डिग्री पर है पर गर्मी का अहसास 42-43 डिग्री वाला हो रहा है। इस स्थिति में गर्मी से हर कोई हलकान है। गर्मी का मौसम कहर बनकर टूट रहा है। लोग मौसम जनित बीमारियों डायरिया-डिसेंट्री और हीट-स्ट्रोक के शिकार हो रहे है। असमय काल के गाल में समा रहे है लेकिन औरंगाबाद का स्वास्थ्य महकमा यह स्वीकार करने को ही तैयार नही है कि यहां हीट-स्ट्रोक से किसी की मौत भी हुई है, जबकि वास्तविकता यह है कि पिछले 48 घंटे में करीब एक दर्जन लोग हीट-स्ट्रोक के शिकार होकर जान गंवा चुके है। मंगलवार की ही बात करे तो हीट-स्ट्रोक से कोई तेज बुखार का शिकार हुआ तो कोई राह चलते बेहोश होकर गिर पड़ा। इन परिस्थितियों में कुल पांच लोग मौत के मुंह में समा गये। मृतकों में एक किशोर, दो महिलाएं और एक अन्य शामिल हैं। हद तो यह कि इनमें से चार ने सदर अस्पताल में एक-एक घंटे के अंतराल पर दम तोड़ा।अफरा-तफरी भी मची। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन कछुआ चाल से इलाज में जुटा रहा और हीट-स्ट्रोक से मौत से साफ तौर पर इनकार करता रहा जबकि कल यानी मंगलवार को औरंगाबाद में मौसम का पारा 44.5 डिग्री था। हालांकि कुछ डॉक्टरों ने दबी जुबान मौत का कारण हीट स्ट्रोक स्वीकार किया, लेकिन सदर अस्पताल प्रशासन ने इसे सिरे से खारिज करता रहा। जबकि कल भी लू के शिकार कई मरीज सदर अस्पताल में भर्ती थे और आज भी भर्ती है। कुछ को रेफर भी किया गया है। हीट-स्ट्रोक के शिकार होकर मरने वालो के परिजनों ने रो-रोकर लू से मौत होने की बात स्वीकार की लेकिन अस्पताल प्रशासन ने जानबूझकर किसी का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। बताया जाता है कि भोजपुर जिले के करथ निवासी सरयू सिंह(55वर्ष) अपना इलाज कराने शहर के एक निजी क्लिनिक में जा रहे थे। इसी दौरान नागा बिगहा रोड में वे अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। सूचना मिलने पर पुलिस उन्हे सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वही देव थाना के पचोखर गांव निवासी सरस्वती देवी(60वर्ष) की भी मौत लू लगने से हुई है। मदनपुर प्रखंड के पीरथू गांव की निवासी चंद्रमणि देवी(48वर्ष) को लू के कारण तेज बुखार आने पर आनन-फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। शहर के शाहपुर मुहल्ले निवासी अजय शर्मा के पुत्र आशुतोष(15वर्ष) को सुबह में तेज बुखार आया और गला सूखने की शिकायत पर आनन-फानन में परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल आए, जहां इलाज के दौरान कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया। शहर के लक्ष्मी नगर की शांति देवी को लू से अचानक उल्टी शुरू हुई। तेज बुखार भी आया। परिजन आनन-फानन में उसे लेकर इलाज के लिए सदर अस्पताल आएं, जहां उसकी मौत हो गई। आंध्र प्रदेश के के एक टूरिस्ट की भी औरंगाबाद में लू लगने से मौत हो गई। मृतक जी कृष्णा(70वर्ष) आंध्र प्रदेश के विजयनगर जिले केएलकोट मंडल के बिमली के निवासी थे। उनके साथ रहे लोगो ने बताया कि वे लोग 4 जून को टूर पर निकले थे। रास्ते में उनके साथी को बुखार के साथ उल्टी होने लगी। साथी को लेकर औरंगाबाद सदर अस्पताल आएं जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

अब बात सिविल सर्जन डॉ. कुमार वीरेंद्र की करते है। हीट-स्ट्रोक से एक दर्जन मौतों के बावजूद जनाब ने हीट स्ट्रोक से मौत को स्वीकार नही करने की कसम खा रखी है। वे सीधे कह रहे है कि हीट-स्ट्रोक से मौत की बातें अफवाह मात्र है। जनाब दावें के साथ यह कह रहे है कि लू लगने से किसी की भी मौत नहीं हुई है। प्रचंड गर्मी के बावजूद लू से किसी की जान नही गई है। वही उन्ही के मातहत कुछ चिकित्सक दबी जुबान हीट-स्ट्रोक से मौत की बात स्वीकार कर रहे है, पर सिविल सर्जन इसे भी सिरे से खारिज कर रहे है। गौरतलब है कि 2019 में भी हीट-स्ट्रोक से औरंगाबाद सदर अस्पताल में दर्जनों लोगो की हीट-स्ट्रोक से मौत हुई थी। उस वक्त भी 15 जून को पहले दिन चार से पांच लोगों की मौत अस्पताल प्रशासन ने हीट स्ट्रोक से मौत को स्वीकार नहीं किया था। अगले दिन 16 जून को 46 लोगों की मौत के बाद विरोधी दल के नेता से लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय तक को औरंगाबाद सदर अस्पताल आना पडा था। शायद इस बार भी सदर अस्पताल प्रशासन पहले वाली नौबत आने का इंतजार कर रहा है। हालांकि हीट-स्ट्रोक से मौत की शिकायतों को औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने गंभीरता से लिया है। उन्होने सदर अस्पताल में हीट-स्ट्रोक के शिकार मरीजों के भर्ती होने की सूचना पर पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा के साथ अस्पताल पहुंचकर भर्ती मरीजों एवं उनके परिजनों से मुलाकात की। हरसंभव इलाज की व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया गया। डीएम ने सिविल सर्जन को फटकार लगाई। हीट-स्ट्रोक के शिकार मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में समुचित व्यवस्था कराने का निर्देश दिया। अब देखना यह है कि फटकार के बाद सिविल सर्जन सदर अस्पताल की व्यवस्था में कौन सा सुधार लाते है।