औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। यदि आपके दिल में कुछ कर गुजरने की जिद और जुनून है, तो उसे पूरा किया जा सकता है। बशर्ते आपके अंदर उसे पाने का जज्बा हो।
औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के डुमरी में ऐसा ही जज्बा सरकारी शिक्षक नंदन ठाकुर चरितार्थ कर रहे है। एक तरफ जहां बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े किए जाते है। वही नंदन ठाकुर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देकर शिक्षा की जोत जगाने में सफल हो रहे हैं। नंदन ठाकुर ने बताया कि वह पिछले 25 वर्षों से मैट्रिक और इंटर के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क हिंदी और संस्कृत की शिक्षा दे रहे है। जिस वक्त उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था, उस वक्त नक्सल गतिविधियां इस क्षेत्र में चरम पर थी। उन्हें लगता था कि कहीं नक्सली उनके इस कार्य में बाधक तो नहीं बन जाएंगे लेकिन उनके तरफ से कभी भी इसे रोकने की कोशिश नहीं की गई। आज स्थिति यह है कि डुमरी के आसपास के चालीस गांवों के बच्चे 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां आकर निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
यहां आनेवाले बच्चों में पहाड़ी क्षेत्र के वन मझौली, गोलहा, मल्हारा, जौड़ा, भलुआही, बेढ़ना, बालूगंज, पचमो, बरमी, नियामतपुर, कोडियारी, सिंहना, दरियापुर, करमडीह आदि गांव के बच्चें शामिल है। नंदन फिलहाल कुटुंबा प्रखंड के मंझौली मध्य विद्यालय में नियोजित शिक्षक हैं। वें सुबह 5.00 से 6.15 तक एवं शाम को भी इसी समय पर बच्चों को शिक्षा देते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास बच्चों को शिक्षा देने के लिए कोई कमरा नहीं है। घर के बाहर की गली में सड़क पर ही क्लास लगाई जाती है और बच्चे जमीन पर बैठकर तन्मयता से शिक्षा ग्रहण करते हैं। वही बच्चों ने भी शिक्षक की तारीफ की और कहा कि यहां जिस तरीके से शिक्षा दी जाती है, वैसी शिक्षा जिले में शायद ही कहीं दी जाती होगी। छात्र-छात्राओं ने कहा कि यहां प्रतिदिन 300 से 400 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं और अपने करियर के निर्माण में लगे हुए हैं।