औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी ने सोमवार को खुदवा थाना कांड संख्या-26/20, जीआर-407/20 में सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए मृतका रूपा देवी के पति पंचहरा निवासी विकास राजकुमार को भादवि की धारा 304 बी में आजीवन सश्रम कारावास और पचास हजार जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना नही देने पर अदालत ने छः माह के अतिरिक्त कारावास का प्रावधान किया है।
मामले में सास ढाकुरमनी देवी और ससुर कारू सिंह को दस-दस साल कैद, पच्चीस, हजार का जुर्माना और जुर्माना नही देने पर चार माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले में बचाव पक्ष से अधिवक्ता योगेश पांडेय एवं अशोक कुमार ने सास-ससुर के वयोवृद्ध होने के कारण कम सजा की मांग की। साथ ही पति के लिए भी उम्र कम होने के कारण घर गृहस्थी की देखरेख के लिए कम सजा देने का आग्रह किया। वही सूचक की ओर से अधिवक्ता अनील चोबे, योगेन्द्र प्रसाद योगी एवं दिलीप कुमार ने कहा कि यह जघन्य अपराध है। सभी आरोपी दया के पात्र नहीं हैं क्योंकि निर्दयता से शादी के छः माह के भीतर नव विवाहिता की इनके द्वार गला दबाकर हत्या की गयी है। कहा कि ऐसी सजा सुनाई जाए कि समाज में इस तरह का जघन्य कृत्य करने से लोग बचे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला जज ने फैसला सुनाया।
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि मृतका के पिता दाउदनगर के खत्री टोला निवासी सुर्दशन प्रसाद ने प्राथमिकी 3 जून 2020 को दर्ज करायी थी। दहेज के लिए अपने दामाद, समधी, समधीन को अपनी पुत्री की हत्या का आरोपी बनाया था। तीनों आरोपी मृतका की लाश आंगन में छोड़ कर फरार हो गए थे। तीनों आरोपी को पुलिस ने छापामारी कर पौथु के धनाही से गिरफ्तार किया था। पति ने माता-पिता के साथ मिलकर दहेज के लिए रूपा की हत्या गला दबाकर कर करने की बात स्वीकारी थी, जो प्रदर्श-9 साक्ष्य में अंकित किया गया था। अन्य साक्षियांे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट, अनुसंधान के दौरान उपलब्ध साक्ष्य ने भी घटना की पुष्टि की थी। फैसला सुनने के बाद सूचक सुदर्शन खत्री के आंख से आंसू निकल गये। उसने कहा कि आज हमें और हमारी बेटी को न्याय मिल गया। हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा था कि न्याय मिलेगा। हमें दो वर्ष के अन्दर न्याय मिल गया है।