औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार राज्य जल विद्युत निगम की ओबरा-दाउदनगर प्रखंड में पिछलें सात वर्षों बंद पड़ी तीन निर्माणाधीन पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कार्य पूरा होने का आसार बनने लगा है। ओबरा प्रखंड की दो डिहरा और तेजपुरा तथा दाउदनगर के सिपहां की पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। डिहरा में करीब 50 फीसदी, तेजपुरा में 80 फीसदी और सिपहां में 51 फीसदी काम होने के बाद से निर्माण ठप पड़ा है। हालांकि दाउदनगर के सिपहां में सात वर्षों के बाद कार्य पुनः आरंभ हुआ है, जबकि ओबरा के डिहरा और तेजपुरा में कार्य आरंभ होना बाकी है।
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साफ-सफाई का हो रहा कार्य-
जानकारी के मुताबिक सोन नहर पर ओबरा प्रखंड के डिहरा, तेजपुरा और दाउदनगर प्रखंड के सिपहां लॉक पर निर्माणाधीन पनबिजली परियोजना करीब सात वर्षों से बंद पड़ी थी। पूर्व में परियोजना में कुछ कार्य हुआ था, पर बाद में परियोजना का कार्य बंद हो गया था। बंद पड़ी सिपहां परियोजना में एक सप्ताह पहले नये सिरे से काम शुरू हुआ है। अब कार्य एजेंसी भी बदल गयी है। सीआइपीएल और एरगोटेल एजेंसी अब काम कर रही है, जिसके तत्वावधान में काम कराया जा रहा है। साफ सफाई के बाद डीजल पंप सेट लगाकर पानी की निकासी करायी जा रही है।
साइट इंजीनियर मनीष कुमार ने बताया कि नये सिरे से काम शुरू होने के बाद पहले चरण में सफाई कार्य कराया जा रहा है। इसके बाद आगे का कार्य कराया जायेगा। तीनों स्थानों पर 500 गुणा 2 केवी के बिजली उत्पादन क्षमता वाली ये पनबिजली परियोजनाएं 2002 से ही स्वीकृत है।
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राबड़ी राज में हुआ था शिलान्यास-
बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सोन नदी के इंद्रपुरी बराज से निकली सोन मुख्य नहरें, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के दौरान परिवहन और माल ढुलाई का कार्य होता था, के लॉक पर पनबिजली परियोजना की शुरुआत करने की घोषणा की थी। तब काम शुरू तो हुआ लेकिन पूरा नहीं हो सका था। इसके बाद सरकार बदली और 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने। तब से लेकर अब तक लगातार स्थानीय लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि पनबिजली परियोजना का काम कब पूरा होगा और उन्हें 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी।
12 जनवरी 2002 को हुआ था शिलान्यास-
सिपहां लाॅक के कार्यस्थल पर लगे शिलापट्ट के अनुसार, इस परियोजना का शिलान्यास 12 जनवरी 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के कार्यकाल में ऊर्जा मंत्री शकील अहमद खान ने किया था। 13.2 करोड रुपये की राशि से इस परियोजना का निर्माण होना था। जिसमें 12.7 करोड़ रुपये नाबार्ड से बतौर ऋण प्राप्त थे। जबकि राज्य निधि से 94.40 लाख रुपये खर्च होने थे। काम रुक जाने के बाद पुनः नीतीश सरकार में जनवरी 2011 में पनबिजली परियोजना के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था और जनवरी 2013 तक कार्य को पूरा करने का लक्ष्य था। तीन कंपनियां संयुक्त रूप से इसके निर्माण कार्य में लगी हुई थी और सभी के अलग-अलग कार्य थे। इलेक्ट्रिकल, टेक्निकल और सिविल कार्य में इसे विभाजित किया गया था। 2013 में इस परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो जाना चाहिए था। वहीं वर्ष 2012-13 में इस पनबिजली परियोजना का कार्य अचानक बंद हो गया और तब से कार्य अधर में लटका हुआ था।
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18 वर्षों से है इंतजार-
इन पनबिजली परियोजनाओं के पूरा होने का इंतजार 18 वर्षों से इस क्षेत्र की जनता कर रही है। करीब 18 वर्ष पहले इस परियोजना का शिलान्यास हुआ था। नौ वर्ष पहले काम शुरू हुआ था और 2 वर्ष बाद काम अधूरा ही बंद कर दिया गया था।
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बिजली परियोजनाओं का है काफी महत्व-
पर्यावरण के दृष्टिकोण से पनबिजली परियोजनाओं का काफी महत्व है। इसी वजह से इन पनबिजली परियोजनाओं का काम शुरु हुआ था। सिपहां पनबिजली परियोजना से दाउदनगर प्रखंड और डिहरा, तेजपुरा पनबिजली परियोजना से ओबरा और बारुण प्रखंड बिजली सप्लाई के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है। सिपहां पनबिजली परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद बिजली सीधे तरारी पावर सब स्टेशन को आपूर्ति की जायेगी। इससे क्षेत्र के गांव रोशन होंगे। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद विद्युत आपूर्ति से ओबरा, दाउदनगर और आसपास के क्षेत्रों को 24 घंटे बिजली मिल सकेगी।