यूपी एक बार फिर भगवा ‘हो..ली’

लखनउ। आज से 8 दिन बाद होली का त्योहार है। होली के सभी रंग अनोखे और महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन चुनावी समर में उत्तर प्रदेश की जनता ने इस बार भगवा रंग को अपना लिया है। जनता जनार्दन का जनादेश कुछ ऐसा ही कह रहा है। दरअसल राजनीकि दल अपने झंडे और रंग को चुनते हैं, जिनसे उनकी पहचान होती है। अब जब राज्य की जनता ने बीजेपी सरकार को सत्ता में रहते हुए लगातार दूसरी बार चुना है तो फिजाओं में चारों ओर भगवा रंग के गुलाल उड़ने लगे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता भी खुशी में सराबोर हो रही है।

यूपी चुनाव के इतिहास में पहली बार बीजेपी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। हालांकि परिणाम से पहले विपक्षी प्रत्याशियों की ओर से कई तरह के दावे किए गए। लेकिन सूबे की जनता ने पहली बार लगातार दूसरी बार भगवा रंग से यूपी को सराबोर कर दिया है और सीएम योगी के नेतृत्व मे चल रही सरकार को एक बार फिर मौका दिया है।

भारतीय जनता पार्टी का 6 अप्रैल 1980 को गठन हुआ। पहली बार बीजेपी 1991 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई। राम जन्मभूमि आंदोलन के महानायक कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। उसके बाद भाजपा वापसी नहीं कर सकी। बीजेपी की 1997 में पुन: वापसी हुई। कल्याण के अलावा यूपी बीजेपी से राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने। इन तीनों चेहरों में कल्याण सिंह सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2002 के बाद बीजेपी करीब डेढ़ दशक तक सत्ता से बाहर रही। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बाद 2017 में यूपी में भी भाजपा ने वापसी की। पांच साल तक योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। लेकिन अपने काम और दमदार छवि, गुंडों, माफियाओं की कमर तोड़ने वाली बीजेपी की योगी सरकार ने एक बार फिर जबरदस्त वापसी की है।

गोरखपुर सीट से सीएम योगी ने लहराया परचम

उत्तर प्रदेश की गोरखपुर शहर सीट पर बीजेपी का दबदबा बना हुआ है। सीएम योगी ने गोरखपुर शहर सीट करीब एक लाख 2 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

मतगणना के शुरुआत से ही गोरखपुर में लोगों की उत्सुकता वोटों का अंतर जानने को लेकर अधिक रही। सीएम बीजेपी समर्थकों को विश्वास था कि इस बार गोरखपुर की जीत ऐतिहासिक होगी। गोरखपुर शहर सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा रहा है।

12 उम्मीदवार मैदान में रहे

गोरखपुर शहर सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कुल 12 उम्मीदवार मैदान में रहे। समाजवादी पार्टी ने यहां से भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे स्व. उपेन्द्र दत्त शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा। बसपा से ख्वाजा शमसुद्दीन और कांग्रेस से चेतना पांडेय मैदान में रहे।

वैसे बता दें कि चुनाव प्रचार अभियान के दौरान योगी ने अपनी सीट पर काफी कम समय दिया था। उनकी गैर मौजूदगी में चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह उनकी टीम ने संभाली थी। इससे पहले 2017 के चुनाव के बाद सीएम योगी विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे।

लगातार 5 बार रहे सांसद

1998 में योगी ने गोरखपुर लोकसभा सीट से पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और वो जीत गए। 12वीं लोकसभा चुनाव में वो सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस समय उनकी उम्र केवल 26 वर्ष की थी। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे। 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने गए हैं।

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