औरंगाबाद में एनडीए का सुपड़ा साफ, सभी छः विधानसभा सीटों पर महागठबंधन को मिली सफलता

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए मतगणना समाप्त हुआ। यहाँ सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हुई थी। रुझानों और नजीतों में ऐतिहासिक प्रदर्शन के बिच महागठबंधन को मिली पिछली बार से ज्यादा सीटें। छः विधानसभा सीटों चुनाव के परिणाम मंगलवार को आ चुके हैं। सभी सीटों पर शुरूआती रुझानों में कांटे की टक्कर देखने को मिला। जिसमे कभी महागंठबंधन आगे रहा तो कभी एनडीए आगे रहा लेकिन अंतत: औरंगाबाद के सभी छः विधानसभा सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा कर लिया हैं।

http://औरंगाबाद में सभी छः विस सीटों के परिणाम घोषित, गोह से राजद के भीम, ओबरा से राजद के ऋषि, नबीनगर से राजद के डबलू, कुटुम्बा से कांग्रेस के राजेश, औरंगाबाद से कांग्रेस के आनंद व रफीगंज से राजद के नेहालुद्दीन जीते

औरंगाबाद से वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शंकर सिंह अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के कद्दावर व दिग्गज नेता पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह को हराया। नबीनगर से राजद प्रत्याशी पूर्व विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू प्रत्याशी व वर्तमान विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह को हराया। ओबरा से राजद प्रत्याशी ऋषी कुमार अपने निकटतम प्रतिद्वंदी लोजपा प्रत्याशी डॉ. प्रकाश चंद्रा को हराया। रफीगंज से राजद प्रत्याशी पूर्व विधायक मो. नेहालुद्दीन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह को हराया। कुटुम्बा से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक राजेश कुमार राम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी हम प्रत्याशी श्रवण भुईया को हराया। गोह से राजद प्रत्याशी पूर्व विधायक भीम सिंह अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा वर्तमान विधायक मनोज शर्मा को हराया।

महागठबंधन नेताओं ने कहा कि यह जीत महागठबंधन की नहीं हैं बल्कि जनता जनार्दन की जीत हैं, जिन्हें अपना सार्वभौमिक विकास पसंद हैं, जिन्हें रोजगार पसंद हैं। न कि झांसा और मन बहलाव की बातें। जनता जागरूक हैं, उन्हें पता हैं कि डबल इंजन की सरकार बिहार को कभी विकास और बुलंदी पर नहीं पहुंचा सकती हैं। सूबे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य जरूरी जरूरतें निल हैं। उन्होनें कहा कि आपको ठीक-ठीक याद होगा लॉकडाउन के क्रम में प्रवासी गरीब मजदूर अपने परिवार के साथ हजारों किलोमीटर पैदल चल कर भूखे प्यासे नंगे पांव घर पहुंचे हैं।

गौरतलब हैं इससे कही बड़ी बात बिहार ही नहीं बल्कि देश में बेरोजगारी भुखमरी और लाचारी चरम सीमा पर हैं। रोजगार के अभाव में बिहार के युवाओं में अवसाद की भावनाएं बड़े स्तर पर व्याप्त हैं। अपनी दैनिक जरूरतों के अभाव में गलत कदम उठाने पर मजबूर हैं। जिसका जिम्मेदार डबल इंजन की सरकार हैं। पिछले 15 सालों विकास और सुशासन के नाम पर केवल मन बदलाव बातें करते आये हैं लेकिन जनता इनकी मनसा जान चुकी थी लिहाजा बिहार में उन्हें उनकी वास्तविक जगह दिखाने का काम की हैं। महागंठबंघन अपनी तमाम चुनावी वादें के लिए प्रतिबद्ध हैं।