दाउदनगर(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ(गोपगुट) ‘मूल’ के राज्य महासचिव सत्येंद्र कुमार ने वर्ष-2022-23 के केन्द्रीय बजट को कॉरपोरेट का, कॉरपोरेट के लिए और कॉरपोरेट के द्वारा बनाया गया बजट करार दिया है।
कहा कि आजादी के तथाकथित अमृत वर्ष में लाए गए इस बजट में पूंजीपतियों के लिए तो ढेर सारे अमृत हैं लेकिन आम जनता के लिए इसमें सिर्फ और सिर्फ विष ही भरा हैं। इस बजट में मध्यवर्ग के लिए सिर्फ महंगाई से पिटते रहने और घटती आमदनी के बावजूद भारी टैक्स अदा करते रहने का कूट संदेश छिपे हुए हैं जबकि छात्र-नौजवानों के लिए इस बजट में न तो अच्छी पढ़ाई और न ही सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगार देने की कोई बात कही गई है। यहां तक कि केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में रिक्त करीब नौ लाख पदों पर बहाली के बारे में भी इस बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है। पहले से ही नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना के कारण बर्बाद और बेहाल असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों लोगों के लिए इस बजट में कोई ठोस आश्वासन भी नहीं दिखता है। इस बजट में कुल जनसंख्या के करीब दो तिहाई आबादी वाला तबका-किसानों के लिए कृषि-क्षेत्र के मद में दी गई राशि भी वास्तविक तौर पर कम कर दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने वाली लोकप्रिय स्कीम मनरेगा के मद की राशि में भी वास्तविक कमी की गई है। इसी तरह से स्वास्थ्य और शिक्षा के मद की राशि भी वास्तविक तौर पर घटा दी गई है।
इस बजट में आम जनता को थोड़ी राहत देने के लिए पेट्रोलियम के बढ़े हुए दामों को थोड़ा और कम करने के बारे में कोई कोरा आश्वासन भी नहीं दिया गया है। हां, कारपोरेट टैक्स में जरूर भारी छूट दी गई है, जिसके कारण शेयर बाजार तो उछल रहा है लेकिन आम लोगों में भारी मुर्दनी छाई हुई है। जहां तक शिक्षकों और कर्मचारियों का सवाल है तो इस तबके की आमदनी में वास्तविक ह्रास होने के बावजूद इसे इनकम-टैक्स में भी कोई राहत नहीं दी गई है, जबकि यह तबका पहले से ही ‘स्वयं से कई गुणा ज्यादा कमानेवाले सेठों’ की तुलना में अधिक टैक्स देता आ रहा है। इस तबके की जनवरी 2020 से ही ऊंट के मुंह में जीरा की तरह मिलने वाली महंगाई भत्ते की किस्तें भी बकाया हैं। कुल मिलाकर इस बजट में आम जनता को महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी, गरीबी, भुखमरी आदि समस्याओं से मुक्ति दिलाने का कोई झूठा आश्वासन भी नहीं दिया गया है । इस कारण यह बजट पूर्णतः पूंजीपरस्त और जनविरोधी बजट है।