आर. पी. शर्मा
जब भी छब्बीस जनवरी और पन्द्रह अगस्त आते हैं
वैसे तो यह दिन भी वो छुट्टी की तरह ही मनाते हैं
बीबी को मूवी दिखाते हैं और डिनर कर आते हैं
देश भक्ति में उनका कुछ भी नहीं होता तस से मस
वो केवल बदलते हैं व्हाट्सएप डीपी और फेसबुक स्टेटस
देशभक्ति के नाम पर करोड़ों का धंधा होता है
माल बेचने की होढ़ में हर बंदा होता है
मैं कहता हूँ बंद करो बंद करो देशभक्ति का यह झूठा फंडा
अगले दिन तो चार आने में भी नहीं बिकता देश का झंडा
वैसे तो देश भक्ति से उन्हें है क्या काम
वो तो हैं जातिवाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के गुलाम
हाँ जब कहीं आतंकी हमला होता है या होता उसका भय
वो मन ही मन कहते हैं भारत माता की जय
और जब आतंकवादी को फांसी की सजा सुनाता है कोर्ट
तो वो टीवी चैनलों पर आकर खुलकर करते उसका विरोध
और टीवी चैनल भी आतंकवादी की तो पूरी गाथा बताते हैं
पर हमारे शहीद सैनिकों की केवल गिनती ही गिनाते हैं
कुछ नेता तो पत्थरबाजों और गद्दारों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं
कुछ नेता पत्थरबाजों और गद्दारों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं
और अफजल जैसों को भी यह मासूम बतलाते हैं
इनका दोष नहीं खेल हैं उनके वोटों का
देश बेचने के एवज में मिले उन नोटों का
सच्चे देशभक्त वह भी नहीं है जिन्होंने लौट आया था मान
सच्चे देश भक्त वे हैं, जो देश की खातिर लुटा रहे हैं प्राण
हे बजरंगी हमें याद हमारी शख्सियत दिला दो
हम सब को फिर से देश भक्त बना दो
हम वेतन नहीं वतन की खातिर करें काम
और भारत माता को दिलाएं नए आयाम
सीमा रहे सुरक्षित, रहे शांति और अमन
सैनिकों की बढ़े आयु, तिरंगे को करें नमन
और अगर दुश्मन हमें दिखा भी दे डंडा
तो इतने आजाद हों कि उसके देश पर भी लहरादें भारत का झंडा
जय हिंद
- कवि आर. पी. शर्मा