पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन मंदिर‚ मठ आदि भूमि संबंधी विवरणी को किस प्रकार संधारित किया जाए‚ अतिक्रमण से कैसे बचाया जाये एवं संरक्षण हेतु क्या कार्रवाई अपनाई जाये इस पर सोमवार को हुई बैठक में विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद द्वारा मठ‚ मंदिर‚ धर्मशाला‚ कबीर मठ आदि की भूमि से संबंधित पोर्टल का प्रारूप प्रदर्शित किया गया‚ जिसमें जिले के अपर समाहत्र्ता नोडल पदाधिकारी रहेंगे एवं अंचल अधिकारी से मंदिर‚ मठ‚ कबीर मठ आदि की भूमि की विवरणी प्राप्त कर पोर्टल पर अपलोड करेंगे। यह भी बताया गया कि इस पोर्टल का उद्घाटन यथाशीघ्र मुख्यमंत्री करेंगे।
विधि विभाग‚ बिहार‚ पटना द्वारा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के साथ राजस्व प्रशिक्षण संस्थान‚ शास्त्रीनगर‚ पटना में सोमवार को संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक में मंत्री‚ विधि विभाग‚ मंत्री‚ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग‚ अध्यक्ष‚ धार्मिक न्यास पर्षद‚ धार्मिक न्यास पर्षद के सभी सदस्य‚ अपर मुख्य सचिव‚ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग‚ निदेशक‚ भू–अभिलेख एवं परिमाप‚ निदेशक‚ भू–अर्जन‚ विनोद कुमार झा‚ सदस्य‚ बिहार भूदान‚ भूमि वितरण जांच आयोग एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में बिहार धार्मिक न्यास पर्षद‚ बिहार‚ पटना के अध्यक्ष ने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिविल वाद संख्या–४००५०/२०२१ में दिये गये निर्णय की विस्तृत जानकारी दी। उक्त न्यायालय के आदेश में है कि मंदिर‚ मठ‚ कबीर मठ की संपत्ति के ऑनरशिप में भगवान या इष्ट देव का नाम लिखा जाये। सेवायत‚ या पुजारी का नाम अभियुक्ति कॉलम में लिखा जाय। साथ ही विधि विभाग ने बताया कि मंदिर‚ मठ की जमीन का कोई अतिक्रमण करता है‚ इस संबंध में बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम‚ १९५० में ट्रिब्यूनल का प्रावधान है‚ जिसकी जानकारी के अभाव में आम लोगों द्वारा सिविल न्यायालय‚ उच्च न्यायालय में वाद दायर किया जाता है और उच्च न्यायालय द्वारा ट्रिव्यूनल में अतिक्रमण वाद दायर किये जाने का निर्णय दिये जाने के कारण समय की वर्बादी होने के साथ–साथ समस्या यथावत् रह जाती है।
विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि भगवान या इष्ट देव का नाम ऑनरशिप में रखा जाय। किसी भी स्थिति में बिक्री की गयी भूमि का दाखिल–खारिज नहीं किया जाये। साथ ही पूर्व में मठ‚ मंदिर की विक्रय की गई भूमि के दाखिल–खारिज उपरांत कायम की गई जमाबंदी को रद्द किया जाय ताकि विधि व्यवस्था की समस्या का न्यूनीकरण किया जा सकें। अपर मुख्य सचिव‚ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा बताया गया कि जब तक धार्मिक न्यास पर्षद की भूमि को लोक भूमि की श्रेणी में नहीं शामिल किया जाता है‚ तब तक अतिक्रमण वाद की कार्रवाई किया जाना संभव नहीं है।
मंत्री‚ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग‚ बिहार‚ पटना द्वारा आश्वस्त किया गया कि विधि विभाग द्वारा उठाई गई समस्याओं के प्रति राजस्व विभाग अत्यंत संवेदनशील है। उनके द्वारा विधि विभाग एवं धार्मिक न्यास पर्षद को संयुक्त रूप से अनुरोध किया गया कि धार्मिक न्यास पर्षद अन्तर्गत आनेवाली भूमि को लोक भूमि अंतर्गत लाने‚ धार्मिक न्यास पर्षद की भूमि के विक्रय पर रोक लगाने‚ पूर्व में मठ‚ मंदिर की विक्रय की गई भूमि की जमाबंदी रद्द करने इत्यादि के संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर समर्पित किया जाए ताकि धार्मिक न्यास पर्षद की भूमि को लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम अंतर्गत लाया जा सके एवं अन्य सभी समस्याओं का विधिसम्मत समाधान किया जाए।
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. व्हाट्सएप ग्रुप व टेलीग्राम एप पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें. Google News पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें)