गोह(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राजद नेता बन गये गोह से जाप के रिटायर्ड उम्मीदवार श्याम सुंदर ने पाला बदलने पर सफाई देते हुए दावा किया है कि जाप सुप्रीमों पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव मुझसे अभी भी अगाध प्यार करते हैं।
http://चुनावी सभा के दौरान टूटा मंच, पप्पू यादव का दाहिना हाथ टूटा
यह दावा करते हुए उन्होने कहा कि संघर्ष की ताकत मुझे पप्पू यादव से ही मिली है। कहा कि सामंती जुल्म और नेता-अपराधी-अधिकारी गठजोड़ से लड़ने और सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिए सबकुछ न्योछावर करने की ताकत मुझे बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अंबेडकर से मिली तो बिहार लेनिन अमर शहीद जगदेव बाबू की शहादत मुझे ऊर्जा देती रही। आज जब चारों ओर लूट-खसोट मची है, तो मुझे जननायक कर्पूरी ठाकुर की सादगी, जीवन जीने का तरीका सीखा रही है। कहा कि जब मैं चुनावी समर में उतरा। मेरे सामने राजनीतिक धर्म संकट उत्पन्न हो गया। एक तरफ साम्प्रदायिक सामंती ताकतें थीं तो दूसरी ओर, सामंती सियासतदान की लंपटई, गुंडई। इन दोनों के बीच तीसरा विकल्प महागठबंधन का था और चौथा जाप प्रत्याशी के रूम में मैं खुद। चतुष्कोणीय संघर्ष के आसार बन रहे थे। संघर्ष का सम्मान लोग कर रहे थे। सामाजिक न्याय की हिफाजत करने वाली जमात मेरे संघर्षों के साथ खड़ी थी। एक ओर जेल में कैद राजद सुप्रीमो लालू यादव का व्यक्तित्व और दूसरी ओर मेरा संघर्ष। मेरी लकीर छोटी थी। मतदाताओं ने कहना शुरू कर दिया था कि दोनों के टकराव में सामंती ताकतों की जीत होगी। मैं भी असमंजस में था। उधर महागठबंधन उम्मीदवार भीम यादव भी असहज महसूस कर रहे थे। इसी वजह से सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिए आम मतदाताओं की अपील पर मैंने फैसला किया-परिणाम चाहे जो हो, गोह का हालात बदतर है। सामने समाजवादी नेता स्व. अवध सिंह का चरित्र था। कामरेड रामशरण यादव का संघर्ष याद आया। लगातार 20 वर्षों से राजनीतिक वीरान गोह की धरती को नमन किया।
मेरे राजनीतिक जीवन के टर्निंग प्वांइट के लिये अरवल विधायक रविंद्र सिंह का शुक्रगुजार हूं। नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी जी की उपस्थिति में भीम-श्याम की जोड़ी गले मिली। इतिहास करवट ले रहा था। ऐसी अद्भुत राजनीतिक घटना इतिहास में कम ही होता है। मुख्यमंत्री रहते तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल का मंत्रिमंडल समेत भाजपा में चले जाना। अचानक भाजपा से मोहभंग और राजद से नीतीश कुमार का मिलना। यूपी में सपा-बसपा का मिलना। कुछ इसी तरीके का सियासी घटनाक्रम का गवाह बना था 20 अक्टूबर को गोह का गांधी मैदान। मैदान खचाखच भरा। लाखों का हुजम। ना मुझे पता और ना ही महागठबंधन उम्मीदवार को। लेकिन अचानक से सबकुछ हो गया। तेजस्वी-भीम-श्याम की जोड़ी ने हाथ उठा लोगों का अभिवादन किया तो एक साथ लाखों हाथ उठे। ये हाथ परिवर्तन के थे। मंच से ही सामंतियों के खात्मे का शंखनाद हुआ। हालांकि मेरे इस फैसले से कुछ लोगों को बेचैनी जरूर है। उन्होने कहा कि मार्च से लेकर अगस्त के पहले सप्ताह तक राजद के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुझे चार बार मिलने के लिये बुलावा आया। तब भी मिलने से इंकार करता रहा। तब मुझे गोह बचाने की चिंता थी। मैं विधानसभा चुनाव विजेता बनने के लिये लड़ना चाहता था। उस वक्त लोग टिकट की दौड़ में जब पटना में डेरा डाले हुए थे। मैं अकेला आमलोगों के बीच आशीर्वाद यात्रा पर था। लोग मेरे संघर्ष के कायल जरूर थे, लेकिन असमंजस में थे। जायें तो जायें कहां? इस विकट स्थिति में गोह को बचाने के लिये मैंने कुर्बानी दी है। मैंने सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिए शहादत दिया है। मेरे इस फैसले का सम्मान आपके जेहन में कितना है-यह तो वक्त बताएगा। कहा कि मैंने अपनी समझ से कोई गुनाह नहीं किया है। सत्ता संरक्षित अपराधियों से गोह को बचाने के लिये मैंने जो कुर्बानी दी है, इसमे अगर कोई कमी रह गई होगी, तो आप सबों से माफी चाहता हूं। माफी चाहता हूं जाप सुप्रीमो पप्पू यादव से। याद कराना चाहता हूं जाप नेताओं को, जो यह कह रहे हैं कि आपने गलत किया। जाप के साथियों, आपका राजनीतिक दुश्मन कौन है? भाजपा-जदयू गठबंधन या फिर राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन। जब कभी गठबंधन की बात होगी तो क्या भाजपा से हाथ मिलाएगी जाप या फिर लालू यादव से। पप्पू यादव भी कई दफा कह चुके हैं कि लालू यादव मेरे आदर्श हैं? तो फिर मैंने गोह के हालात को देखते हुए यह कदम उठा लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया? कहा कि राजद की बर्बादी पर सियासत नहीं होनी चाहिए बल्कि यह सोचना होगा कि साम्प्रदायिक ताकतों को खत्म करने के लिये कौन सी रणनीति अपनानी चाहिए, जिसकी वजह से साम्प्रदायिक-सामंती ताकतों का खात्मा होगा और मैंने यही सोचकर यह कदम उठाया है। आने वाला वक्त बताएगा कि मेरा फैसला सही है या गलत।