नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने राष्ट्रपति भवन में आज 11 नवंबर को राज्यपालों और उप-राज्यपालों के 51वें सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस सम्मलेन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल और उप-राज्यपाल के अलावा, उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए। इस दौरान राज्यपालों और उप-राज्यपालों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि आज हम 2 साल के लंबे अंतराल के बाद मिल रहे हैं, कोविड महामारी का सामना करने में विश्व का सबसे व्यापक और प्रभावी अभियान भारत में चलाया गया। भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद COVID-19 महामारी से लड़ाई लड़ी। इस दौरान भारत ने दुनिया भर के देशों की मदद भी की।
हमारे सभी कोरोना योद्धाओं ने असाधारण त्याग और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह किया। आज 108 करोड़ से अधिक कोरोना टीकाकरण के साथ देश भर में टीकाकरण अभियान जारी है।
नई शिक्षा नीति से मिली भारतीय भाषाओं को शक्ति
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर राज्यपालों के सम्मेलन की महत्ता बताते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव को हम ज्यादा से ज्यादा उत्साह से मनायें और जन भागीदारी अधिक से अधिक सुनिश्चित करें। जन भागीदारी सुनिश्चित करने में राज्यपालों का भी अहम योगदान हो सकता है।
नई शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं को शक्ति देने के लिए नई शिक्षा नीति में अनेक प्रावधान किये गये हैं। देश के तमाम विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति को लागू करने में राज्यपालों के सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि राज्यपाल नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाएंगे।
वर्ष 1949 से हो रहा आयोजन
जानकारी के लिए बता दें कि राज्यपालों, उप-राज्यपालों के सम्मेलन की यह परंपरा वर्ष 1949 से चली आ रही है। पहला सम्मेलन वर्ष 1949 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में यह चौथा सम्मेलन है।
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. व्हाट्सएप ग्रुप व टेलीग्राम एप पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें. Google News पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें)