औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के प्रथम चरण में औरंगाबाद जिले की 6 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान संपन्न होने के बाद वोटिंग के पहले वोटों के ठेकेदार बने नेता अब प्रत्याशी व उनके समर्थकों से कन्नी काटते फिर रहे हैं। पहले बड़े-बड़े दावे करते थे, पर अब वोट पड़ गये हैं और उस तरह का रूझान नहीं मिल रहा है, जिस तरह के वे दावे कर रहे थे। ऐसे में दावों की हवा निकल गई है। वहीं चैक-चैराहे से लेकर हर चैपाल में हार-जीत के आकलन में प्रत्याशी से लेकर कार्यकर्ताओं तक की फौज जुटी है। सोशल मीडिया के माध्यम से जीत का दंभ भरने वाले कई प्रत्याशी तो औंधे मुंह गिरे हैं। वहीं वोट के ठेकेदार बने नेता कई प्रमुख प्रत्याशियों से अब उनसे कन्नी ही नहीं काट रहे हैं, बल्कि उनके मोबाइल नम्बर तक बंद मिलने लगे हैं। उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया है कि जिस व्यक्ति या नेता ने मतदान की ठेकेदारी ली थी, वहां उनके प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कम हुआ है। वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से जीत का दंभ भरने वाले कई प्रत्याशी औंधे मुंह गिरे हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी एक-एक मतदान केन्द्र की रिपोर्ट अलग-अलग तरीके से लेकर जीत-हार का आकलन कर रहे हैं। सबसे अधिक चिंता उन प्रत्याशियों में देखी जा रही है, जिन्होंने जीत के लिए पैसे से लेकर हर तरीके व हथकंडे को अपनाने का दमखम लगाया था। चुनावी आकलन में उन्हें पता चला कि महज दस प्रतिशत मत ही उन्हें मिला होगा। ऐसे प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय व दरवाजे पर मतदान के बाद सन्नाटा पसरा है। इस चुनाव में कुछ दलीय और निर्दलीय प्रत्याशियों के बारें में उम्मीद जताई जा रही है कि इनकी जमानत भी जब्त होगी। उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत 10 नंवबर को वोटों की गिनती से तय होगी। वोटों की गिनती नहीं होने के बाद भी जानकर सीधे-सीधे किसी खास दल के उम्मीदवार की एकतरफा जीत बता रहे हैं। मतगणना से पहले यह तय करना मुश्किल हो पा रहा है कि जीत के बाद कौन किस नम्बर पर होगा ? कितना मत लायेगा, किस बूथ पर कितना मत मिला होगा, उसकी जमानत बचेगी कि नहीं।