विधानसभा चुनाव में बहिष्कार वापस लेने के बाद सदुरी करमा के ग्रामीणों ने अब किया पंचायत चुनाव के बहिष्कार का ऐलान,
8 अक्टूबर को होना है मतदान, फिर मान जाएंगे वोटर या होगा कुछ और
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में औरंगाबाद जिले के बारूण प्रखंड में आगामी 8 नवम्बर को होनेवाले मतदान के क़ुछ दिन पहले मेंह पंचायत के सदुरी करमा गांव के वोटरो ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर प्रत्याशियों की चूले हिला कर रख दी है।
दरअसल इस गांव में मुद्दा विकास का ही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी यहां के वोटरो ने विकास नही होने की शिकायत होने पर वोट बहिष्कार की धोषणा की थी। उस वक्त शासन-प्रशासन के पहल पर यहां के वोटर मान गये थे और उन्होने चुनाव में भागीदारी निभाते हुए मतदान भी किया था। यहां के वोटर कहते है कि विधानसभा चुनाव के वक्त तो प्रशासनिक अधिकारियों और राजद के उम्मीदवार विजय कुमार सिंह उर्फ डबलू सिंह की बातों पर हमलोगों ने भरोसा कर लिया था। वोट भी डाला और डबलू सिंह विधायक भी बन गए। उनके विधायक बने एक साल हो गये लेकिन उन्होंने अपने वादे के अनुरूप अबतक गांव में एक ईंट तक नही लगाई है।
वही पंचायत के मुखिया ने भी गांव में न तो गली, नली बनवाई है, न आवास योजना, न पेंशन, न ही राशन कार्ड और न ही हेल्थ कार्ड का लाभ ग्रामीणो को दिलाया है। इतना तक कि नल जल योजना के तहत यहां बना जल मीनार भी बेकार पड़ा है। इसी वजह से उन्होने पंचायत चुनाव का समय आते ही वोट बहिष्कार की घोषणा कर दी है।
गांव में नल जल योजना के वाटर टावर के ठीक नीचे दीवार पर पंचायत चुनाव बहिष्कार का बैनर ग्रामीणों ने टांग रखा है। वोट बहिष्कार के ऐलान के बीच पंचायत चुनाव के मैदान में कूदे विभिन्न पदों के उम्मीदवार सदुरी करमा गांव में भी वोट मांगने आ रहे है और वे वोट बहिष्कार का बैनर देख कर निराश हो रहे है। हालांकि वे विकास का आश्वासन देकर वोटरो को मनाने की कोशिश जरूर कर रहे है पर ग्रामीणों के वोट बहिष्कार के इरादे को डिगा पाने में कामयाब नही होने पर बैरंग वापस लौट जा रहे है।
हालांकि मेंह पंचायत से ही मुखिया पद के उम्मीदवार प्रबल सिंह ने सटुरी करमा गांव में आकर वोटरो से दिलेरी से बाते की। ग्रामीणों को पूर्व में अपने दो बार के मुखिया के कार्यकाल के दौरान गांव में किये गये विकास कार्यों का हवाला दिया। कहा कि दस साल पहले जितने विकास कार्य मैने इस गांव में कराये थे, उतने ही काम पर गांव में विकास कार्य पर स्टॉप लगा है। उनके बाद के मुखियों ने सदुरी करमा में क़ुछ भी विकास नही किया। इतना तक कि गांव के सरकारी स्कूल तालाब बना हुआ है और उस पर भी निवर्तमान प्रतिनिधियों ने ध्यान नही दिया है।
प्रबल सिंह की बातों से सदुरी करमा के ग्रामीणों का थोड़ा भरोसा तो जरूर बढ़ा पर वे अब भी पूरे तौर पर उम्मीदवारों पर ऐतबार करने को तैयार नही है। वही प्रबल सिंह ने कहा कि उन्होने वोटरो को बहिष्कार वापस लेने के लिए काफी कुछ समझाया है। कुछ में मतदान की समझदारी बनी है और उन्हे उम्मीद है कि उनकी बातों से करीब 51 प्रतिशत वोटर प्रभावित हुए है, जो मतदान करेंगे। शेष 49 प्रतिशत को भी मनाने की कोशिश कर रहे हैं और वे मान गये तो यह प्रतिशत और भी बढ़ सकता है। कहा कि मैने अपने दो कार्यकाल में भी इस गांव में विकास किया है। इस बार मौका मिला और मुखिया बना तो ग्रामीणों की सारी शिकायते दूर हो जाएंगी।