देव(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। देव प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित सरकारी पशु चिकित्सालय का हाल बुरा है। यहां सप्ताह में दो-तीन दिन ही पशु चिकित्सा पदाधिकारी से मुलाकात हो सकती है।
रोज ढाई बजे तक कंपाउंडर साहेब यहां सोते हुए जरूर मिल जाएंगे। अधिकांश लोगों को तो यह भी पता ही नहीं है कि प्रखंड कार्यालय परिसर में पशु चिकित्सालय भी है। जिन्हें पता है और जो पहचान बना चुके हैं, तो उनके पशुओं का इलाज समय पर हो जाएगा अन्यथा फलां दवाई नहीं हैं का बहाना सुनना होगा और दवा बाजार से खरीद कर लाना होगा। मोटर साइकिल का पेट्रोल खर्चा देना होगा, तभी जानवर के डाॅक्टर आन स्पाॅट पहुंचकर पशु की जांच इलाज करेंगे। पशु अस्पताल में पशुओं के लिए कैल्शियम, आयरन तक नहीं हैं। जरुरत पड़ने पर मजबूरी में बाजार से ही खरीदना होगा। सीमेन देने का साठ रुपए हॉस्पिटल में लाने पर लगेगा।
घर जाकर पशुओं का इलाज करने पर दूरी के हिसाब से लगेगा, उस पर भी चिकित्सा पदाधिकारी स्वयं न जाकर कंपाउंडर को भेजेंगे। जब यह संवाददाता लगभग तीन बजे पशु चिकित्सालय पहुंचा तो चिकित्सा पदाधिकारी प्रमोद कुमार पशु अस्पताल में नहीं थे। कंपाउंडर साहेब सोते हुए पाए गए। जगाने पर बताया कि ढाई बजे के बाद अस्पताल बंद हो जाता है। चमोकन की दवा मांगने पर दो जानवरों के लिए चार रुपए लेकर चमोकन की एक एक टिकिया मिली। आयरन और कैल्शियम की मांग पर कहा गया कि नहीं है।