औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के सांसद सुषील कुमार सिंह ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक ज्ञापन देकर गया एयरपोर्ट से घरेलू और इंटरनेशनल उड़ान सेवाओं को बहाल करने की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री को दिये ज्ञापन में सांसद ने कहा है कि गया ज्ञान और मोक्ष की भूमि है। यहां स्थित विष्णुपद मंदिर का हिंदू धर्म में तथा महाबोधि मंदिर का बौद्ध धर्म में अति विशिष्ट स्थान है। बिहार एवं झारखंड के अनेक दर्शनीय ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक स्थल-राजगीर, नालंदा, पावापुरी, पारसनाथ आदि भी गया व उसकी परिधि में है। यहां कोविड-19 महामारी से पूर्व बड़ी संख्या में देश-विदेश से सैलानी आया करते थे। साथ ही बिहार के प्रमुख शहरों में होने के कारण एक बड़ी आबादी भी गया व आसपास के क्षेत्रों में रहती है जिसे शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार आदि के लिए देश-विदेश के अनेक स्थानों की यात्रा करने की आवश्यकता पड़ती रहती है। गया हवाई अड्डा विशेष रूप से बिहार व झारखंड के 15 से अधिक जिलों के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है एवं एक बड़ी जनसंख्या के हवाई मार्ग से जोड़ता है। कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण गया हवाई अड्डे से विमान सेवाओं के परिचालन पर व्यापक असर पड़ा एवं सभी सेवाएं रद्द कर दी गई थी।
पूर्व में गया हवाई अड्डे से अनेक अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर्देशीय विमान सेवाएं परिचालित होती थी, जो वर्तमान में मात्र एक सेवा(इंडिगो-कोलकाता-गया-कोलकाता) तक सीमित है।इंडिगो व एयर इंडिया की जो सेवाएं कोविड-19 के राष्ट्रीय लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुई थी, उन्हें भी कोविड-19 की दूसरी लहर के पहले शुरू कर दिया गया था परंतु अब अनेकों राज्यों में कोविड-19 की स्थिति में सुधार होने के बावजूद अनेकों विमान सेवाएं गाया हवाई अड्डे से पुनः शुरू नहीं हो पाई है। गया से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, वाराणसी आदि के लिए सीधी उड़ान सेवाएं थी, जो वर्तमान में स्थगित है। ऐसे में यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आने वाले त्यौहार जैसे दशहरा, दीपावली, छठ आदि के समय हवाई सेवाओं की मांग बहुत बढ़ जाती है क्योंकि देश विदेश से लोग अपने घर पर त्यौहार मनाने आते हैं। मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि गया हवाई अड्डे से स्थगित सभी विमान परिचालन सेवाओं का अविलम्ब शुरू करने एवं नए स्थानों के लिए भी हवाई सेवाएं प्रारंभ करने के लिए उचित निर्देश देने का कष्ट करेंगे।