औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राजद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में बिहार की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
पार्टी के औरंगाबाद जिला प्रवक्ता रमेश यादव ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार को पुनः उपेक्षित करने का काम किया। कहा कि यह मंत्रिमंडल विस्तार उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया परंतु दुख की बात है कि बिहार के साथ घोर उपेक्षा की गई और इस उपेक्षा को जदयू के नेता एवं मुख्यममंत्री नीतीश कुमार ने जहर की तरह स्वीकार भी कर लिया। जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2019 में मंत्रिमंडल का गठन हो रहा था, उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर अपनी पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया था कि उन्हें समुचित हिस्सा मंत्रिमंडल में चाहिए। नरेंद्र मोदी ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। लाचार होकर कुर्सी कुमार नीतीश कुमार की पार्टी मंत्रिमंडल से बाहर रही लेकिन लोजपा के सांसदों को अपनी पार्टी में विलय के बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के पैर पकड़कर मात्र पषुपति कुमार पारस को ही मंत्रिमंडल में जगह दिलवा सके।
इस बात से स्पष्ट हो गया कि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने के लिए भाजपा के आगे लाचार और विवश हैं। मंत्रिमंडल के गठन के समय और आज कौन सी ऐसी परिस्थितियां हो गई कि नीतीश कुमार एक ही मंत्री पर मान गए। नरेंद्र मोदी द्वारा जो भी मंत्री बनाए गए, उसमें जातीय संतुलन का भी अभाव दिख रहा है। बिहार के अति पिछड़ा एवं अल्पसंख्यकों को मंत्री नहीं बनाया जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा जिस वोट बैंक के बदौलत चुनाव जीती है, उस समाज को भी घोर उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा है। रवि शंकर प्रसाद जैसे कायस्थ के बड़े नेता और सुशील कुमार मोदी को भी मंत्रिमंडल विस्तार में ठेंगा दिखाया गया। सुशील मोदी में जरा सा भी शर्म रहता तो वे राजनीति से सन्यास ले लेते।