“स्मार्ट कृषि” के लिए पीएम मोदी ने देश को दिए 7 बड़े सुझाव

नई दिल्ली। पीएम मोदी ने गुरुवार को “स्मार्ट कृषि” विषय पर केंद्रीय बजट 2022-23 के सकारात्मक अमल के सम्बन्ध में आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए 7 रास्ते सुझाए, जिसमें उन्होंने नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने, हर्बल मेडिसिन पर भी बल देने, एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने, मिशन ऑयल पाम, पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाओं को लेकर अपने विचार रखें।

पीएम मोदी के संबोधन के अंश…

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा ये सुखद संयोग है कि 3 साल पहले आज के ही दिन पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत की गई थी। ये योजना आज देश के छोटे किसानों का बहुत बड़ा संबल बनी है। इसके तहत देश के 11 करोड़ किसानों को लगभग पौने 2 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, इस योजना में भी हम स्मार्ट नेस का अनुभव कर सकते हैं। सिर्फ एक क्लिक पर 10-12 करोड़ किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर होना यह अपने आप में किसी भी भारतीय को गर्व करने वाली बात है।

पीएम मोदी ने कहा, बीते 7 सालों में हमने बीज से बाजार तक ऐसी ही अनेक नई व्यवस्थाएं तैयार की हैं, पुरानी व्यवस्थाओं में सुधार किया है। सिर्फ 6 सालों में कृषि बजट कई गुणा बढ़ा है। किसानों के लिए कृषि लोन में भी 7 सालों में ढाई गुणा की बढ़ोतरी की गई है।

तीन करोड़ छोटे किसानों को केसीसी से जोड़ा

पीएम मोदी ने बताया कि कोरोना के मुश्किल काल में भी स्पेशल ड्राइव चलाकर हमने तीन करोड़ छोटे किसानों को केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की सुविधा से जोड़ा है। इस सुविधा का विस्तार एनिमल हसबेंडरी, पशुपालन और फिशरीज से जुड़े किसानों के लिए भी किया गया है। माइक्रो इरिगेशन का नेटवर्क जितना सशक्त हो रहा है, उससे भी छोटे किसानों को मदद मिल रही है।

11 हजार करोड़ का ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का मार्केट

इन्हीं सब प्रयासों के चलते हर साल किसान रिकॉर्ड प्रोडक्शन कर रहे हैं और एमएसपी पर भी खरीद के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के कारण आज ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का मार्केट अब 11 हजार करोड़ का हो चुका है। इसका एक्सपोर्ट भी 6 वर्षों में 2 हजार करोड़ से बढ़कर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो रहा है।

“स्मार्ट कृषि” के 7 सुझाव

पीएम मोदी ने कहा, इस वर्ष का एग्रीकल्चर बजट बीते सालों के इन्हीं प्रयासों को कंटीन्यू करता है, उनको विस्तार देता है। इस बजट में कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से 7 रास्ते सुझाए गए हैं।

पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 कि.मी. के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। उसमें हर्बल मेडिसन पर भी बल दिया जा रहा है, फल-फूल पर भी बल दिया जा रहा है।

दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।

तीसरा- खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने के लिए मिशन ऑयल पाम के साथ-साथ तिलहन को जितना हम बल दे सकते हैं उसको सशक्त करने का हम प्रयास कर रहे हैं। इस बजट में इस पर बल दिया गया है।

इसके अलावा चौथा लक्ष्य है कि खेती से जुड़े उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी।

बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मैनेजमेंट को अधिक ऑर्गेनाइज किया जाएगा, वेस्ट टू एनर्जी के उपायों से किसानों की आय बढ़ाई जाएगी।

छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी, ताकि किसानों को परेशानी ना हो।

सातवां ये कि एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्सेज डेवलपमेंट में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।

नेचुरल फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग के मार्केट को कैप्चर करने की पूरी कोशिश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज दुनिया में हेल्थ अवेयरनेस बढ़ रही है। एनवायरमेंट फ्रेंडली लाइफ स्टाइल के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि इसका मार्केट भी बढ़ रहा है। हम इससे जुड़ी चीजें जैसे नेचुरल फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग के मार्केट को कैप्चर करने की कोशिश कर सकते हैं। नेचुरल फार्मिंग के फायदे जन-जन तक पहुंचाने में हमारे कृषि विज्ञान केंद्र और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी को पूरी ताकत से जुटना होगा। हमारे केवीके एक-एक गांव गोद ले सकते हैं। हमारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी 100 या 500 किसानों को अगले 1 साल में नेचुरल खेती की तरफ लाने का लक्ष्य रख सकती है।

कृषि जगत में भी ”वोकल फोर लोकल” जरूरी

पीएम मोदी ने कहा, आज कल हमारी मिडल क्लास फैमिलीज में, अपर मिडल क्लास फैमिलीज में एक और ट्रेंड दिखता है। अक्सर देखने में आता है कि उनके डायनिंग टेबल पर कई सारी चीजें पहुंच गई हैं प्रोटीन, कैल्शियम के नाम पर ऐसे कई प्रोडक्ट्स डायनिंग टेबल पर जगह बना रहे हैं। इसमें बहुत सारे प्रोडक्ट विदेश से आ रहे हैं और ये भारतीय टेस्ट के अनुसार भी नहीं होते। जबकि ये सारे प्रोडक्ट जो हमारे किसान पैदा करते हैं उसमें सब कुछ है लेकिन हम सही ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं और उसका मार्केटिंग नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए। इसमें भी वोकल फोर लोकल जरूरी है। भारतीय अन्न भारतीय फसलों में भी बहुतायत में पाया ही जाता है और ये हमारे टेस्ट का भी होता है। दिक्कत ये है कि हमारे यहां उसकी इतनी जागरूकता नहीं है। काफी लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है। कैसे हम भारतीय अन्न को प्रचारित करें, प्रसारित करें, इस ओर भी हमें ध्यान देना होगा। हमने देखा है कि कोरोना काल में हमारे यहां के मसाले हल्दी जैसी चीजों का आकर्षण बहुत बड़ा है।

साल 2023 International Year of Millets

उन्होंने कहा, साल 2023 International Year of Millets है। इसमें भी हमारा कॉरपोरेट जगत आगे आए, भारत के Millets की ब्रैंडिंग करे, प्रचार करे। हमारा जो मोटा धन है और हमारे दूसरे देशों में जो बड़े मिशन्स हैं वो भी अपने देशों में बड़े-बड़े सेमिनार करे, वहां के लोगों को जागरूक करे कि भारत के Millets कितने उत्तम है। भारत के Millets की न्यूट्रिशन वैल्यू कितनी ज्यादा है इस पर हम बल दे सकते हैं।

सॉयल हेल्थ कार्ड पर विशेष जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि हमारी सरकार का बहुत ज्यादा जोर सॉयल हेल्थ कार्ड पर रहा है। देश के करोड़ों किसानों को सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड दिए हैं। जिस तरह एक जमाना था न पैथोलॉजी लैब होती थी और न लोग पैथोलॉजी टेस्ट करवाते थे, लेकिन अब कोई भी बीमारी आई तो सबसे पहले पैथोलॉजी चेकअप होता है। क्या हमारे स्टार्टअप्स, क्या हमारे प्राइवेट इन्वेस्टर्स स्थान-स्थान पर प्राइवेट पैथोलॉजी जैसे लैब होती हैं वैसे ही हमारी धरती माता के सैंपल को भी टेस्ट करके देश के किसानों को गाइड कर सकते हैं। सॉयल हेल्थ की जांच लगातार होती रहे। ये हमारे किसानों को अगर आदत डालेंगे तो छोटे-छोटे किसान भी हर साल एक बार सॉयल टेस्ट जरूर करवाएंगे। इस प्रकार सॉयल टेस्टिंग की लैब का एक पूरा नेटवर्क खड़ा हो सकता है। नए इक्विपमेंट बन सकते हैं। मैं समझता हूं कि यह बहुत बड़ा क्षेत्र है, स्टार्टअप्स को आगे आना चाहिए।

नैनो फर्टिलाइजर बनेगा गेम चेंजर

हमारे युवा वैज्ञानिकों ने नैनो फर्टिलाइजर डेवलप किया है। यह एक गेम चेंजर बनने वाला है। इसमें भी काम करने के लिए हमारे कॉरपोरेट वर्ल्ड के पास बहुत संभावनाएं हैं। माइक्रो इरिगेशन भी इनपुट कॉस्ट कम करने का और ज्यादा प्रोडक्शन का बहुत बड़ा माध्यम है। एक प्रकार से यह एनवायरमेंट की भी सेवा है। पानी बचाना आज मानव जाति के लिए बहुत बड़ा काम है।

Per Drop More Crop पर जोर

पीएम मोदी ने कहा, Per Drop More Crop पर सरकार का बहुत जोर है और ये समय की मांग भी है। इसमें भी व्यापार जगत के लिए बहुत संभावनाएं हैं। अब जैसे केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड में क्या परिवर्तन आएंगे, ये आप सभी भली भांति जानते हैं। जल कृषि सिंचाई योजनाएं देश में दशकों से अटकी हुई हैं। उन्हें भी तेजी स पूरा किया जाना चाहिए।

एडिबल ऑयल प्रोडक्शन 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य

उन्होंने बताया कि आने वाले तीन चार सालों में हमने एडिबल ऑयल प्रोडक्शन को अभी के लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का जो लक्ष्य रखा है, उसको हमें समय पर हासिल करना है। नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल के तहत ऑयल पाम की खेती में बहुत पोटेंशियल है और तिलहन के क्षेत्र में हमें बहुत बड़ी मात्रा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन को बढ़ावा

पीएम मोदी बोले, क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए भी हमारे एग्री इन्वेस्टर्स को भी आगे आना चाहिए। जैसे भारत में किस तरह की मशीनें चाहिए, इस बारे में इंपोर्टस को पता होता है। वो जानते हैं कि किस तरह की चीजें चलेंगी। इसी तरह से हमारे यहां फसलों की जानकारी होनी चाहिए। जैसे अभी तिलहन और दलहन का ही उदाहरण लें। देश में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है। ऐसे में हमारे कॉर्पोरेट वर्ल्ड को इसमें आगे आना चाहिए। यह आपके लिए एक ऐश्वर्य मार्केट है। विदेश से लाने की क्या जरूरत है। आप किसानों से पहले से कह सकते हैं कि हम आपसे इतनी फसल लेंगे। अब तो इंश्योरेंस की व्यवस्था भी है तो इंश्योरेंस के कारण सुरक्षा तो मिल ही रही है।

21वीं सदी में खेती को बिल्कुल बदल देगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

उन्होंने कहा, भारत की फूड रिक्वायरमेंट की स्टडी हो और जिन चीजों की आवश्यकता है उसे भारत में ही प्रोड्यूस करने की दिशा में हम सबको मिलकर काम करना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े ट्रेड को बिल्कुल बदलने वाली है। किसान ड्रोन्स का देश की खेती में अधिक से अधिक उपयोग, इसी बदलाव का हिस्सा है। ड्रोन टेक्नॉलॉजी, एक स्केल पर तभी उपलब्ध हो पाएगी, जब हम एग्री स्टार्टअप्स को प्रमोट करेंगे। पिछले तीन-चार वर्षों में देश में 700 से ज्यादा एग्री स्टार्टअप्स तैयार हुए हैं। पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर बीते सात साल में काफी काम हुआ है। केंद्र सरकार का ये निरंतर प्रयास रहा है कि प्रोसेस्ड फूड का दायरा बढ़े। हमारी क्वालिटी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की हो। इसके लिए किसान संपदा योजना के साथ ही पीएलआई स्कीम महत्वपूर्ण है। इसमें वेल्यू चेन की भी बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए 1 लाख करोड़ रुपए का विशेष एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है।

पीएम मोदी ने बताया कि कुछ दिन पहले ही भारत ने यूएई के साथ कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। इसमें फूड प्रोसेसिंग में सहयोग बढ़ाने के लिए भी कई अहम फैसले लिए गए हैं। Agri-Residue जिसे पराली भी कहते हैं, उसका Management किया जाना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए इस बजट में कुछ नए उपाय किए गए हैं, जिससे कार्बन एमीशन भी कम होगा और किसानों को इनकम भी होगी। भारत का कॉपरेटिव सेक्टर काफी vibrant है। चाहे वो चीनी मिलें हों, खाद कारखाने हों, डेयरी हो, ऋण की व्यवस्था हो, अनाज की खरीद हो, कोऑपरेटिव सेक्टर की भागीदारी बहुत बड़ी है। हमारी सरकार ने इससे जुड़ा नया मंत्रालय भी बनाया है।