औरंगाबाद में धान क्रय में लगी 175 सहकारी संस्थाएं, खरीद की रफ्तार धीमी

18 हजार एमटी से अधिक खरीद के बावजूद मिलिंग के लिए मिलरों को नहीं भेजा गया धान, मिलरों ने भी नहीं दिया एडवांस सीएमआर

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद जिले में 175 सहकारी संस्थाओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदने के लिए निर्देश दिया गया है। किसानों से धान की खरीद शुरू हो चुकी है। बावजूद रफ्तार धीमी है। जिले में दो लाख मिट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अबतक 18,785.131 मिट्रिक टन धान की ही खरीद हो सकी है। 165 पैक्स और दस व्यापार मंडल किसानों से धान की खरीद में लगे है। यूं कहे कि खरीद में सहकारी संस्थाओं का पूरा अमला लगा हुआ है। हद है कि एक बड़े अमले के खरीद में लगे होने के बावजूद खरीद की रफ्तार बेहद धीमी है।

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किसान धान बेचने को बेकरार है, लेकिन धान की खरीदारी करने वाला एजेंसी सुस्त है। सरकारी अमले के लोग भले ही यह लाख दावा कर लें कि धान खरीद में सुस्ती नहीं बरती जा रही है, लेकिन खरीद के आंकड़े उनके दावों की पोल खोल रहे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाये तो औरंगाबाद प्रखंड में 12 पैक्सों व एक व्यापार मंडल द्वारा आज तक 1190.800 एमटी, बारुण में 12 पैक्सों द्वारा 1619.200, दाउदनगर में 13 पैक्सों व एक व्यापार मंडल द्वारा 1486.700, देव में 16 पैक्सों व एक व्यापार मंडल द्वारा 1230.600, गोह में 13 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 1796.270, हसपुरा में 10 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 1314.600, कुटुंबा में 17 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 1907, मदनपुर में 14 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 1141.300, नवीनगर में 18 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 1844.800, ओबरा में 18 पैक्स व एक व्यापार मंडल द्वारा 2961.170 एवं रफीगंज में 22 पैक्स एक व्यापार मंडल द्वारा कुल 2354.191 मिट्रिक टन धान की ही खरीद की गयी है। कायदे से धान खरीद के बाद मिलिंग के लिए उसे मिलरों को भेजा जाना है और मिलरों को मिलिंग के लिए धान भेजने के पहले उनसे अग्रिम में सीएमआर भी लेना है। हद तो यह है कि न तो मिलरों को मिलिंग के लिए अभी तक एक छंटाक धान भेजा गया है और न ही मिलरों ने सीएमआर ही अग्रिम में जमा किया है।

औने-पौने में धान बेचने को मजबुर किसान-

किसानों को रब्बी की खेती करनी है। आने वाले लगन में बेटियों के हाथ पीले करने है। लिहाजा उन्हें पैसे चाहिए। पैसे आने का उनके पास एकमात्र माध्यम खेती की ऊपज यानी धान बेचने का ही विकल्प है। इस विकल्प के रूप में जब वे धान बेचना चाह रहे है तो खरीद की धीमी गति और उसपर तुर्रा विलंब से भुगतान उनकी जरूरतों के आड़े आ जा रहा है। लिहाजा जरूरत को पूरी करने के लिए किसान न चाहते हुए भी मजबुरी में बिचैलियों के हाथो धान को औने-पौने दाम में बेचने को मजबुर है, ताकि उनकी जरूरतें पूरी हो सके। इस संबंध में पूछे जाने पर जिला सहकारिता पदाधिकारी बाबू राजा ने बताया कि सभी पैक्स अध्यक्षों को धान खरीदारी में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। वहीं लगातार क्रय केंद्र का निरीक्षण जिला स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा करायी जा रही है। हर हाल में लक्ष्य के अनुसार धान की खरीदारी की जायेगी।