औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के अलग-अलग गांवों में पिछले पांच दिनों में जहरीले पेय के सेवन से मरने वालो की संख्या 16 हो गई है।
इस मामले में ग्रामीणों एवं नेताओं का आरोप है कि सभी मौतें शराब पीने से हुई है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि मामले को लेकर पुलिस उन्हे बेवजह प्रताड़ित कर रही है। पिछ्ले शनिवार से लेकर बुधवार तक मरने वाले 16 लोगो में मदनपुर थाना के रानीगंज निवासी कृष्णा राम, झारखंड के फुसरो के अमेरिकन कॉलोनी निवासी संजय राम, सिंदुआर निवासी पिंटू चंद्रवंशी, सलैया थाना के जोगिरा निवासी रामजी यादव, पड़रिया निवासी दिलकेश्वर महतो, अररूआ निवासी सुरेश सिंह, बेरी निवासी रवींद्र सिंह, बेरी निवासी राहुल मिश्रा, सलैया निवासी संतोष साह, खिरियावां निवासी बबलू ठाकुर, खिरियावां निवासी भोला विश्वकर्मा, देव प्रखंड के पवई निवासी अनील शर्मा, खिरियावां निवासी शिव साव, खिरियावां निवासी प्रमोद कुमार, खिरियावां निवासी विनय कुमार गुप्ता उर्फ बबलू गुप्ता एवं कटैया निवासी मनोज यादव शामिल है। इसके अलावा तीन की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है, जिनका इलाज गया जिले के शेरघाटी एवं चंडीस्थान में चल रहा है। इनमें बेरी के चैधरी टोला निवासी धनंजय चैधरी, बेरी निवासी मो. नेजाम एवं बेरी निवासी सुबोध सिंह उर्फ गुड्डू सिंह शामिल है। इलाज करा रहे इन जीवित लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होने शराब का सेवन किया था। इसके बाद ही उनकी हालत खराब हुई है।
इस मामले में डीएम सौरभ जोरवाल का कहना है कि शराब के सेवन से मात्र पांच की ही मौत हुई है। शेष की मौत दूसरे कारणों से हुई है। मामले को लेकर इलाके के ग्रामीण बेहद आक्रोशित है। ग्रामीणों का आरोप है कि मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उन्हे प्रताड़ित करने में लगी है। वही पूरे मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई। इन मौतों के बहाने विपक्षी दल राज्य सरकार और जिला प्रशासन को घेरने में लगे है। मामले में पीड़ित परिवारों की मातमपुर्सी करने पहुंचे विधानसभा चुनाव में रफीगंज से प्रत्याशी रहे प्रमोद सिंह ने बिना पोस्टमार्टम कराये मृतकों का दाह संस्कार करने पर आपत्ति जताई। कहा कि यदि पोस्टमार्टम कराया गया होता तो सरकार से मुआवजा की लड़ाई लड़ी जा सकती थी। उन्होने कहा कि दुःख की इस घड़ी में अपने क्षेत्र के लोगो के साथ है। वे अपने स्तर से सभी पीड़ित परिवारों की हरसंभव सहायता करेंगे। उन्होने सरकार और प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नीतीश सरकार का शराबबंदी कानून फेल है। गांव-गांव शराब की बिक्री हो रही है। होम डिलेवरी हो रही है। प्रशासन के लोग शराब की अवैध बिक्री को रोकने के बजाय इसे संरक्षण दे रहे है। इसी वजह से यह गोरखधंधा फल फूल रहा है। यह घटना सरकार और प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। वे सरकार से मृतकों के परिवार को मुआवजा देने की मांग करते है। ये मौतें सरकार की शराबबंदी की नीति के फेल होने की वजह से हुई है। इस नाते मुआवजा देना सरकार का नैतिक कर्तव्य बनता है। इसे लेकर जरूरत पड़ी तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने से भी पीछे नही हटेंगे।