World Homeopathy Day: होमियोपैथी पद्धति पर लोगों का कितना विश्वास? डॉ. महेंद्र शर्मा

World Homeopathy Day

देश भर में होमियोपैथी के 245 कॉलेज हैं, जिनमें हर साल 19,572 डाक्टर सेवा के लिए निकलते हैं. भारत में होमियोपैथी, आयुष (AYUSH) मंत्रालय के तहत आता है.

नई दिल्ली / विद्या भूषण शर्मा(लाइव इंडिया न्यूज़ 18 ) 10 अप्रैल को पूरी दुनिया जर्मन चिकित्सक डॉक्टर क्रिस्टियन फ्रेडरिच सैमुअल हेनेमन के जन्मदिन को होमियोपैथी दिवस के रुप में मनाती है. आइये इस मौके पर आपको बताते हैं दुनिया के साथ-साथ भारत में Homeopathy के आंकड़े क्या कहते हैं?  

भारत में होमियोपैथी 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में कुल एलोपैथी डाक्टरों की संख्या 12.68 लाख है. आयुष के तहत वैकल्पिक पद्धतियों में रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर का आंकड़ा देखें तो कुल 5,93,761 में से करीब आधे 2,37,412 Homeopathy पद्धति में सेवा प्रदान करते हैं.  Ayush Portal के अनुसार Homeopathy 3,69,32,068 लोगों को उपचार उपलब्ध करवा चुका है.  

देश भर में होमियो पैथी के 245 कॉलेज

देश भर में होमियोपैथी के 245 कॉलेज हैं, जिनमें हर साल 19,572 डाक्टर सेवा के लिए निकलते हैं. भारत में होमियोपैथी, आयुष (AYUSH) मंत्रालय के तहत आता है. भारत में आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले कुल 3,859 अस्पतालों में से 262 अस्पताल होमियोपैथी की सेवाएं देते हैं. वहीं छोटी डिस्पेंसरी की बात करें तो आयुष की कुल 29,951 डिस्पेंसरी में से 27 प्रतिशत (8,230) होमियोपैथी से जुड़ी हुई है. 

दुनिया में होमियोपैथी

होमियोपैथी वर्तमान में 80 से अधिक देशों में चलन में है. इसे 42 देशों में चिकित्सा की एक व्यक्तिगत प्रणाली के रूप में कानूनी मान्यता मिल चुकी है. करीब 28 देशों में होमियोपैथी को पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा के एक भाग के रूप में मान्यता प्राप्त है.  

देश में कहां सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है होमियोपैथी

साल 2016 का NSSO का सर्वे बताता है कि पूर्वी भारत के चार राज्य पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और ओडिशा में होमियोपैथी को अपनाने वाले चार सबसे बड़े राज्य हैं. सर्वे के अनुसार पश्चिम बंगाल में 27.4 प्रतिशत लोग होमियोपैथी को अपनाते हैं.  

जानिए होमियोपैथी के दो नियमों के बारे में

होमियोपैथी उपचार पद्धति जर्मनी में करीब 200 साल पहले विकसित हुई थी. डॉ. महेंद्र शर्मा ने बताया कि होमियोपैथी के मुख्यरुप से दो सिंद्धांत हैं. पहला ‘लाइक क्योर लाइक’ यानी बीमार लोगों का इलाज करने के लिए ऐसे पदार्थ को खोजना जो, स्वस्थ लोगों में समान लक्षण पैदा करता हो. दूसरा है ‘न्यूनतम खुराक का नियम’, इसका मतलब है कि दवा की खुराक जितनी कम होगी, उसकी प्रभावशीलता उतनी ही अधिक होगी. होमियोपैथी दवाईयां अधिकतर लाल प्याज, पर्वती जड़ी बूटियों जैसे अर्निका, बेलाडोना, सफेद आर्सेनिक जैसे पौधों और खनिज से तैयार की जाती है. 

व्याक्ति अलग उपचार अलग

डॉ. महेंद्र शर्मा ने बताया कि किसी एक बीमारी के लिए एक ही होमियोपैथी दवाई नहीं दी जा सकती. दरअसल, होमियोपैथी में उपचार ‘व्यक्तिगत’ होता है. इसका मतलब है कि इलाज हर व्याक्ति के अनुरुप होगा. एक ही स्थिति वाले अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग उपचार होना होमियोपैथी में आम बात है. इस बारे में होमियोपैथी के वरिष्ठ डॉक्टर सुबोध सिंघल ने बताया कि होमियोपैथी में आपसे जानकर बीमारी का कारण खोजने की कोशिश की जाती है. उसके बाद कारण को जानकर उसका निदान किया जाता है. इसीलिए आपको बेहतर नतीजे मिलते हैं.  

अभी उपचार की पहली पसंद नहीं
डॉ. महेंद्र शर्मा ने बताया कि अभी भी बहुत लोग अलग-अलग उपचार पद्धतियों से परेशान होकर होमियोपैथी उपचार के लिए आते हैं. कोविड के बाद अब हम देख रहे हैं कि धीरे-धीरे लोग इसे प्रथम उपचार पद्धति के तौर पर भी आजमा रहे हैं. और भविष्य में इसे लोग प्राथमिकता जरूर देंगे क्युकी इस पद्धति के द्वारा बीमारी का जड़ से इलाज संभव है।